रिकार्डो डॉमनिक की कविताएँ


 
 
 
 
कवि ने अपने प्रेमी का पच्चीसवाँ जन्मदिन मनाया
 
(यानिस ब्रेसनर के लिए)

तुम्हारे जीवन से भी लम्बी लड़ाईयाँ हो चुकी हैं
मैं तुम्हें बधाई देता हूँ
आज सफलता से
एक जिराफ़ या चमगादड़
बूढ़ी गाय,
अजगर,
या उल्लू से ज्यादा लम्बा जीवन जीने की।
दुनियाभर में पेंगुइन और सुअर मर रहे हैं
जिस पल तुम गर्भस्थ हुए उसी समय वे भी हुए ।
जब तुम एक निषेचित डिंब भर ही थे
एक परिक्रमा भी पूरी नहीं की है तब से शनि ग्रह ने अब तक सूरज की
पर मुझे गाइड करता है स्टॉकर ज़ोन को जाते हज़ारों रास्तों,
रेंग कर पास आने लगा है एक और जाड़े का मौसम,
मैं छुपाना चाहता हूँ
तुम्हारे चिकने सीने में अपना चेहरा।
अगर मैं कर पाता तो हमारे भविष्य के रात और दिनों की पटकथा लिखने के लिए
लेम या स्त्रूगास्की भाईयों से मैं एक करार करता;
साउंडट्रैक के लिए मैं दियामांदा गालास से करार करता
जो गाती अपनी धौंकती और मिमियाती,
कर्कश और घुरघुराती आवाज़ में
और हम पापाचार में लिप्त रहते हैं।
मैं जश्न मनाता हूँ
तुम्हारे बालों के नीचे दिमाग का,
तुम्हारे शरीर से जुड़े तने लिंग का,
तुम्हारा ही समकालीन एक सुअर अब
पहुँच गया है अपने चर्बी चढ़े जीवन की बुलंदी पर ,
थक चुके आखिर हम एक साथ पलकें मूंदते
हम गिनते हैं भेड़ों को
सोने से पहले आनंदित और तृप्त ।


 
 
 



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बेटा


मेरा बहुत मन था कि मेरा एक बेटा होता
कम से कम अठारह साल तो चलता यह रिश्ता
और मुआवज़ा ही मिल जाता कम से कम  खर्चों का
लेकिन घर में भी खतरे हैं
मेरे आस पास फर्न तक प्यास से मर जाती हैं
और रख रखाव और उसे समय पर पानी देने की अलग मुसीबतें
पिछले साल मैंने एक कैक्टस भी खरीदा था,
लेकिन मुझे कुछ ऐसा चाहिये जिसे मेरी भी थोड़ी बहुत जरूरत पड़े
मैंने एक तोते  की मन्नत की है इस साल सांता क्लॉज़ से
जो जब उसे मैं बुलाऊँ तो  मेरे हाथ पर बैठे जाय,
मेरे दोस्त हँसते हुए कहते हैं मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूँ इस सब के लिए।
अगर मेरी तकदीर ठीक रही, तो मैं कई बिल्लियों के बीच मर जाऊँगा,
हो सकता है एक कुत्ता पालना ठीक हो
पर इससे पहले मैं उस समय का इंतज़ार कर रहा हूँ
जब एक आवारा कुत्ते का संभावित जीवनकाल
मेरे जीवनकाल से भी लंबा होगा

मुझे न विदाईयाँ पसंद हैं न ही अंत्येष्टियाँ
जब हो सके, मैं बस अड्डों के नज़दीक नहीं जाता
उन पर आँसुओं की बू आती है।
       



अंग्रेजी से अनुवाद - मोहन राणा


रिकार्डो डॉमनिक का जन्म  ब्राजील में हुआ।
इनके चार कविता संग्रह और दो काव्य पुस्तकाएँ
प्रकाशित हो चुकी हैं।
रिकार्डो इन दिनों बर्लिन में रहते हैं।






These poems by Ricardo Domeneck (1977) were translated  by Mohan Rana in Hindi
at a translation workshop from English translations by Hilary Kaplan and
in consultation with Ricardo himself at Škocjan organized by Center for
Slovenian Literature and read at Slovenian Book Fair, Cankarjev dom,
Ljubljana, Slovenia in November 2016.

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