स्तांका हर्स्तलेज़ की कविताएँ
स्लोवेनियन कविता
मां
मैं उसे प्यार करती हूँ इसके कुछ कारण हैं
पर हालात बहुत बेढब हैं
वह पंसारी की दुकान चली जाती है और तुम्हें पता ही नहीं रहता
और तुम खोजते रहते हो और उसे खोजते ही रहते हो घर में,
इसी तरह हम खोजते थे पिताजी को भी
जिन कमरों में ट्यूबें लगीं होती थीं उनमें हम ख़ासकर खोजते थे
उसके भाई ने रेडिएटर से लटक कर
उसके जीजा ने पानी के पाइप से लटक कर ख़ुदकशी की थी
महीनों तक हम उसे खोजते रहे लेकिन वह कहीं नहीं मिला
तुम माँ को खोजते रहते हो,लेकिन किसी लाश को नहीं खोजते
पर एक ज़िंदा दिल को खोजते हो
जिसके झुर्राये कोमल हाथ अभी भी हमें कभी कबार सहलाते हैं
लेकिन तुम उसे ढूँढ नहीं पाते हो
बस एक विशाल ठंडा घर
जिसके मुँह बाये खाली कमरे
निगल जाना चाहते हैं तुम्हें
तुम व्याकुल पड़े रहते हो जब तक वह लौट ना आए
------------------------------
गर्व
मुझे पसंद है जिस तरह डॉक्टरों के झुंड के बीच
मेरे पिता कूच कर जाते हैं एक मुखिया नर गोरिल्ला की तरह
जिनके चोगों से भी ज्यादा सफ़ेद हैं उसके बाल
डॉक्टर मेरे पापा की बहुत इज्जत करते हैं
वे कहते हैं: जनाब,हमें कुछ कहना है आपसे
हमारे पास एक निदान है आपके लिए
जनाब, एक नहीं दरअसल दो निदान आज आपको दे सकते हैं
एक संविभ्रम प्रकार के स्किजोफ्रीनिया के लिए
और दूसरा पुराने हेपेटाइटिस बी के लिए
मेरे पापा कहते,
ठीक तो मैं दोनों को ले लूँगा,
आज आपके मैन्यू में जितने निदान हैं
मैं सबको ले लूँगा
वे पलट कर चल पड़ते 42 डिग्री बुखार में,
दाद से सूजे हुए होंठ
और कंधों के बीच झुका सिर,
एक हाथ में गोलियों का थैला उठाए
जो बहुत अलबेले रंगों और आकारों की बनी होती हैं
अगर वे सीना तान के चलते तो वे मजाकिया लगते
लेकिन मेरे पापा कोई मसखरे नहीं हैं,
हर कोई और सब लोग उन्हें बहुत इज्जत देते हैं
दूर से उन्हें देखती हूँ और
मैं मुस्कराती हूँ गर्व से
अंग्रेजी से अनुवाद - मोहन राणा
Photo(c) Borut Cafuta
These poems by Stanka Hrastelj (1975) were translated by Mohan Rana in Hindi
at a translation workshop from English translations and
in consultation with Stanka herself at Škocjan organized by Center for
Slovenian Literature and read at Slovenian Book Fair, Cankarjev dom,
Ljubljana, Slovenia in November 2016.
मां
मैं उसे प्यार करती हूँ इसके कुछ कारण हैं
पर हालात बहुत बेढब हैं
वह पंसारी की दुकान चली जाती है और तुम्हें पता ही नहीं रहता
और तुम खोजते रहते हो और उसे खोजते ही रहते हो घर में,
इसी तरह हम खोजते थे पिताजी को भी
जिन कमरों में ट्यूबें लगीं होती थीं उनमें हम ख़ासकर खोजते थे
उसके भाई ने रेडिएटर से लटक कर
उसके जीजा ने पानी के पाइप से लटक कर ख़ुदकशी की थी
महीनों तक हम उसे खोजते रहे लेकिन वह कहीं नहीं मिला
तुम माँ को खोजते रहते हो,लेकिन किसी लाश को नहीं खोजते
पर एक ज़िंदा दिल को खोजते हो
जिसके झुर्राये कोमल हाथ अभी भी हमें कभी कबार सहलाते हैं
लेकिन तुम उसे ढूँढ नहीं पाते हो
बस एक विशाल ठंडा घर
जिसके मुँह बाये खाली कमरे
निगल जाना चाहते हैं तुम्हें
तुम व्याकुल पड़े रहते हो जब तक वह लौट ना आए
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गर्व
मुझे पसंद है जिस तरह डॉक्टरों के झुंड के बीच
मेरे पिता कूच कर जाते हैं एक मुखिया नर गोरिल्ला की तरह
जिनके चोगों से भी ज्यादा सफ़ेद हैं उसके बाल
डॉक्टर मेरे पापा की बहुत इज्जत करते हैं
वे कहते हैं: जनाब,हमें कुछ कहना है आपसे
हमारे पास एक निदान है आपके लिए
जनाब, एक नहीं दरअसल दो निदान आज आपको दे सकते हैं
एक संविभ्रम प्रकार के स्किजोफ्रीनिया के लिए
और दूसरा पुराने हेपेटाइटिस बी के लिए
मेरे पापा कहते,
ठीक तो मैं दोनों को ले लूँगा,
आज आपके मैन्यू में जितने निदान हैं
मैं सबको ले लूँगा
वे पलट कर चल पड़ते 42 डिग्री बुखार में,
दाद से सूजे हुए होंठ
और कंधों के बीच झुका सिर,
एक हाथ में गोलियों का थैला उठाए
जो बहुत अलबेले रंगों और आकारों की बनी होती हैं
अगर वे सीना तान के चलते तो वे मजाकिया लगते
लेकिन मेरे पापा कोई मसखरे नहीं हैं,
हर कोई और सब लोग उन्हें बहुत इज्जत देते हैं
दूर से उन्हें देखती हूँ और
मैं मुस्कराती हूँ गर्व से
अंग्रेजी से अनुवाद - मोहन राणा
स्तांका हर्स्तलेज़/Stanka Hrastelj (1975)
के स्लोवेनियन भाषा में दो कविता संग्रह और
एक उपन्यास प्रकाशित हो चुका है।
के स्लोवेनियन भाषा में दो कविता संग्रह और
एक उपन्यास प्रकाशित हो चुका है।
Photo(c) Borut Cafuta
These poems by Stanka Hrastelj (1975) were translated by Mohan Rana in Hindi
at a translation workshop from English translations and
in consultation with Stanka herself at Škocjan organized by Center for
Slovenian Literature and read at Slovenian Book Fair, Cankarjev dom,
Ljubljana, Slovenia in November 2016.
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