राइनेर मरिया रिल्के की कविता




 

प्रेम गीत

संभालूँ कैसे अपने दिल को कि
वह छू ना पाए तुम्हारे दिल को
तुम्हें विदा कर कैसे लगाऊँ
दिल किसी और चीज़ पर?
ओह मैं टिका ही दूँ इसे अँधेरे में खोई किसी चीज़ पर
कि डोलना बंद कर दे तुम्हारी संवेदना की भावशून्यता में
किसी अनजानी जगह का वीराना।
पर वो सब जो हमें गूँथता तुझे और मुझे
जोड़ता प्रत्यंचा की तरह हमारे दो किनारों को
दो तारों से सुनाता वह एक ही स्वर है ,
हो जाते हैं किस वाद्य पर हम व्यग्र?
हम वशीभूत हैं किस वायलिन वादक के हाथ में ?
ओ᾿सुरीले  गीत!




जर्मन से हिन्दी अनुवाद - डॉ रामप्रसाद भट्ट





















राइनेर मरिया रिल्के (1875-1926) जर्मन भाषा के विख्यात कवि,
उपन्यासकार और पत्र लेखक। 
रिल्के का विश्वास मुनष्य के भीतर की दुनिया में था। उनकी कविता
उस 'भीतर की दुनिया' का बाहरीकरण है। 

टिहरी गढ़वाल के एक सुदूर गाँव में जन्मे डॉ रामप्रसाद भट्ट 
जर्मनी में हिंदी भाषा एवं साहित्य, आधुनिक भारतीय संस्कृति 
एवं इतिहास का अध्यापन कर रहे हैं। 
डॉ भट्ट हैम्बर्ग, जर्मनी में रहते हैं।

 

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