अमरजीत चंदन की कविताएँ
कविता – अमरजीत चंदन
साइकिल चलाते हुए
चिलचिलाती कड़कती धूप में
सामने से आती तल्ख़ हवा में
साइकिल चलाते मुझे लगता है
सड़क जैसे काली दलदल है
जिसमें धंसती ही चली जा रही है
किश्तों पर ख़रीदी मेरी साइकिल
साइकिल चलाते हुए
मैं ईश्वर का लाख-लाख शुक्र करता हूँ
मैं बिका नहीं एक स्कूटर और पैट्रोल अलाऊंस
के लिए
या अख़बारी रद्दी के बंडल बराबर मैं तुला
नहीं
साइकिल चलाते हुए
मैं याद करता हूँ कॉमरेड विद्यारतन को
जिसे बचपन में कम्युनिस्ट पार्टी की स्टेज
से
सुना करता था साइकिल पर लिखी कविता कहते,
उसके दोनों हाथ नहीं थे.
अब तो मुद्दत हो गई विद्यारतन की ख़बर
सुने
और यकायक बिल्कुल पास से ओवरटेक करती मोटरकार
को
कोसते मैं देता हूँ गाली
अपनी वर्ग घृणा व्यक्त करते हुए
साइकिल चलाते
मुझे लगता है
मैं अकेला नहीं
इस प्रिय मातृभूमि के दो करोड़ साइकिल सवार
मेरे साथ हैं,
फ़ैक्टरियों के मज़दूर
दफ़तरों के क्लर्क बादशाह
फेरीवाले
स्कूल कॉलेजों के छात्र
और तो और साइकिल चोर भी
साइकिल चलाते
मैं देश को आगे ले जाता हूँ
साइकिल चलाते
मैं वर्गचेतना को और पैना करता हूँ
साइकिल चलाते हुए
मैं आगे और आगे बढ़ता हूँ
पूँजीवाद के इस अंतिम दौर में,
साइकिल चलाते हुए
मैं सोचता हूँ, पैदल चलते लोग
क्या सोचते होंगे मेरे बारे में ?
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घर
तुम्हारे अस्तित्व ने मुझे इस तरह संभाला
हुआ है
जैसे नाव संभाले होती है मल्लाह को
जैसे संभाला हुआ है धरती ने सागर को
तुम्हारी गोलाईयाँ
मेरी नज़रों में घुल रही हैं नमक की डली
सी
तुम्हारी ऊँगलियाँ
मेरा घर बुनती हैं हवा में
तुम्हारी आवाज़ रम रही है मेरे रोम-रोम में
चुप्पी की लौ में
मैं सुनता हूँ तुम्हारी पलकों के झपकने की
आवाज़
इस जगह हम एक रात ही ठहरे हैं
मुझे अपने घर सा लगता है यहाँ,
तुम जहाँ कहीं भी होती हो मेरे साथ
मेरा घर वहीं है.
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मूल पंजाबी से हिन्दी अनुवाद – कवि और मोहन राणा
अमरजीत चंदन का जन्म 1946 में नैरोबी, केनिया में हुआ।
अमरजीत के सात कविता संग्रह और पाँच निबंध संग्रह पंजाबी
में प्रकाशित हुए हैं। विश्व की कई भाषाओं में कविताएँ अनुवादित
हुई हैं। अमरजीत लंदन में रहते हैं।
मोहन राणा कविताएँ लिखते हैं। आठ कविता संग्रह हिन्दी में प्रकाशित
हो चुके हैं। इंग्लैंड एक छोटे शहर बाथ में रहते हैं।
अमरजीत चंदन का जन्म 1946 में नैरोबी, केनिया में हुआ।
अमरजीत के सात कविता संग्रह और पाँच निबंध संग्रह पंजाबी
में प्रकाशित हुए हैं। विश्व की कई भाषाओं में कविताएँ अनुवादित
हुई हैं। अमरजीत लंदन में रहते हैं।
मोहन राणा कविताएँ लिखते हैं। आठ कविता संग्रह हिन्दी में प्रकाशित
हो चुके हैं। इंग्लैंड एक छोटे शहर बाथ में रहते हैं।
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