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Showing posts from August, 2017

रिकार्डो डॉमनिक की कविताएँ

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        कवि ने अपने प्रेमी का पच्चीसवाँ जन्मदिन मनाया   (यानिस ब्रेसनर के लिए) तुम्हारे जीवन से भी लम्बी लड़ाईयाँ हो चुकी हैं मैं तुम्हें बधाई देता हूँ आज सफलता से एक जिराफ़ या चमगादड़ बूढ़ी गाय, अजगर, या उल्लू से ज्यादा लम्बा जीवन जीने की। दुनियाभर में पेंगुइन और सुअर मर रहे हैं जिस पल तुम गर्भस्थ हुए उसी समय वे भी हुए । जब तुम एक निषेचित डिंब भर ही थे एक परिक्रमा भी पूरी नहीं की है तब से शनि ग्रह ने अब तक सूरज की पर मुझे गाइड करता है स्टॉकर ज़ोन को जाते हज़ारों रास्तों, रेंग कर पास आने लगा है एक और जाड़े का मौसम, मैं छुपाना चाहता हूँ तुम्हारे चिकने सीने में अपना चेहरा। अगर मैं कर पाता तो हमारे भविष्य के रात और दिनों की पटकथा लिखने के लिए लेम या स्त्रूगास्की भाईयों से मैं एक करार करता; साउंडट्रैक के लिए मैं दियामांदा गालास से करार करता जो गाती अपनी धौंकती और मिमियाती, कर्कश और घुरघुराती आवाज़ में और हम पापाचार में लिप्त रहते हैं। मैं जश्न मनाता हूँ तुम्हारे बालों के नीचे दिमाग का, तुम्हारे शरीर से जुड़े तने लिंग का, तुम्हारा ही समकालीन एक सुअर अब पहुँच गया है अपने चर्बी चढ़े जीव

स्तांका हर्स्तलेज़ की कविताएँ

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स्लोवेनियन कविता मां  मैं उसे प्यार करती हूँ इसके कुछ कारण हैं पर हालात बहुत बेढब हैं वह पंसारी की दुकान चली जाती है और तुम्हें  पता ही नहीं रहता और तुम खोजते रहते हो और उसे खोजते ही रहते हो घर में, इसी तरह हम खोजते थे पिताजी को भी     जिन कमरों में ट्यूबें लगीं होती थीं उनमें हम ख़ासकर खोजते थे उसके भाई ने रेडिएटर से लटक कर उसके जीजा ने पानी के पाइप से लटक कर ख़ुदकशी की थी महीनों तक हम उसे खोजते रहे लेकिन वह कहीं नहीं मिला तुम माँ को खोजते रहते हो,लेकिन किसी लाश को नहीं खोजते पर एक ज़िंदा दिल को खोजते हो जिसके झुर्राये कोमल हाथ अभी भी हमें कभी कबार सहलाते हैं लेकिन तुम उसे ढूँढ नहीं पाते हो बस एक विशाल ठंडा घर जिसके मुँह बाये खाली कमरे निगल जाना चाहते हैं तुम्हें तुम व्याकुल पड़े रहते हो जब तक वह लौट ना आए ------------------------------ गर्व मुझे पसंद है जिस तरह डॉक्टरों के झुंड के बीच मेरे पिता कूच कर जाते हैं एक मुखिया नर गोरिल्ला की तरह जिनके चोगों से भी ज्यादा सफ़ेद हैं उसके बाल डॉक्टर मेरे पापा की बहुत इज्जत करते हैं वे कहते हैं: जन

अज़िता क़हरेमान की कविताएँ

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मैंने जिया वे तमाम आदमी और औरतें जिनका जीवन मैंने जिया उनकी नींदें जिनमें मैंने देखे सपने उनके सपने जिन्हें मैंने जिया उनका दुख जो बचा रह गया मेरे रोने के लिए, वे तराने, हवाएँ और बुदबुदाते जाप अब फुसफुसाते हैं मेरे बीतते समय में.... वे औरतें जिनका जीवन मैंने जिया वीरान जगहों में वे निशान जिन्हें हवा उड़ा ले गई तुम्हारी आँखें और अनगिनत चेहरे तुम्हारी सूरत और मेरी आँखें वे कलेवर जिन्हें  मैंने जिया चीड़ के पेड़,पत्थर और कबूतर कबूतर, पत्थर और चीड़ के पेड़ मैं ही थी गिरती हुई सारी बरफ़ उमड़े समुंदर थे जो तुम्हारे भीतर, किसी और के रास्ते थे मेरे पैर किसी और के पैर और तुम्हारे रास्ते वे सारे गीत जो मैंने गाये तुम्हारे मुँह से सारे आदमियों और औरतों के चेहरे पर जिनका जीवन मैंने जिया ------------ समुंदर कोई आ सकता है क्या इस तट पर एक निशान लगाने और कहने कि यहाँ दुनिया का अंत है? मैं सोना चाहती हूँ समुंदर के शब्दों पर नुक़्तों और रेत पर कोई आ सकता है क्या और जो हटा सके उन्हें जो नमक का खंभा बन गए थे पलट देख एक झलक अनुपस्थित प्रदेश की, और क्या कोई कम कर सकता है इन दूरियों को? अपनी नग्नता के साथ म

राइनेर मरिया रिल्के की कविता

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  प्रेम गीत संभालूँ कैसे अपने दिल को कि वह छू ना पाए तुम्हारे दिल को तुम्हें विदा कर कैसे लगाऊँ दिल किसी और चीज़ पर? ओह मैं टिका ही दूँ इसे अँधेरे में खोई किसी चीज़ पर कि डोलना बंद कर दे तुम्हारी संवेदना की भावशून्यता में किसी अनजानी जगह का वीराना। पर वो सब जो हमें गूँथता तुझे और मुझे जोड़ता प्रत्यंचा की तरह हमारे दो किनारों को दो तारों से सुनाता वह एक ही स्वर है , हो जाते हैं किस वाद्य पर हम व्यग्र? हम वशीभूत हैं किस वायलिन वादक के हाथ में ? ओ᾿सुरीले  गीत! जर्मन से हिन्दी अनुवाद - डॉ रामप्रसाद भट्ट राइनेर मरिया रिल्के (1875-1926) जर्मन भाषा के विख्यात कवि, उपन्यासकार और पत्र लेखक।  रिल्के का विश्वास मुनष्य के भीतर की दुनिया में था। उनकी कविता उस 'भीतर की दुनिया' का बाहरीकरण है।  टिहरी गढ़वाल के एक सुदूर गाँव में जन्मे डॉ रामप्रसाद भट्ट  जर्मनी में हिंदी भाषा एवं साहित्य, आधुनिक भारतीय संस्कृति  एवं इतिहास का अध्यापन कर रहे हैं।  डॉ भट्ट हैम्बर्ग, जर्मनी में रहते हैं।